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पंथ / रामधारी सिंह "दिनकर"

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पंथ लौट कर पहुँचेगा फिर वहाँ
जहाँ से शुरू हुआ था।
घर जाने के लिए बहुत आतुर मत होओ।
बहुत तेज मत चलो, न ठहरो, यही बहुत है।