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पण आज / सांवर दइया
Kavita Kosh से
पैलड़ी रात रै सुख दांई
हाल तांई याद है
बै अदीतवार
बा गपशप
बा मान-मनवार
भायलां नै देख
हरखता भायला
केई दिन हुयां
जावणो ई पड़तो
आवण लागती हर
पण आज
जे अदीतवार हुवै तो
किणी रै घरां जावतां
लागै डर !