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पत्ते / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
हरी दाल पर हँसते पत्ते
मन हरियाला करते पत्ते
छाव बिछाकर, पंखा झलकर
मन हर इक का हरते पत्ते
मधुर फलों की बातें गुपचुप
इक-दूजे से करते पत्ते
चूम उन्हें जब धूप उठाती
तब मुस्काकर जगते पत्ते
दूर उड़ाऊँ कहती आँधी
शीश हिलाकर हँसते पत्ते
पास ज़रा जब आती बकरी
सिहर-सिहर कर डरते पत्ते
इक-दूजे के सुख-दुख शामिल
होकर रंग बदलते पत्ते
रंग-बिरंगे 'सुमन' खिलाने
मिल-जुल कोशिश करते पत्ते