पद 141 से 150 / कन्हैया लाल सेठिया
141.
गरज नांव परमेस रो
गरज पाण संसार,
गरज सर्यां कीं री करै
नुगरो मिनख गिनार ?
142.
खुभ्यां हुवै बीं पीड़ स्यूं
जाबक सूळ अजाण,
चुभणो बीं रो धरम है
बा निरदोसी लाण !
143.
सागीड़ो धुकसी धुऊं
जणां जागसी आग,
घणै अणूंतै राग रै
जामै घरां विराग !
144.
भमै गगण में पण कणां
ठमै अचतळी पून ?
आ विलम्याुं जावै विला
आखी जीवा जूण !
145.
डंूगर बळती दीखज्या
पगां तळ री नीठ,
जै अदीठ नै देखणो
नीची कर लै दीठ !
146.
पून तावडै़ गगण नै
जे लेतो नर तोल ?
बैठ बेचतो हाट पर
मूंघो करतो मोल !
147.
चावै करणो जीव जे
तत स्त स्यूं साख्यात !
खोल दियोड़ी गांठ नै
खुलसी भेद हठात !
148.
बिगस्यो थळ पर सोवणो
हेम कंवळ मरू देस,
ऊपर भंवरो गगण रो
भणकारै हरमेस !
149.
धोरा सिर पर माळियो
खितिज अंगरखो अंग,
कंवळा गेला पगरखी
मरू रो भेस सुरंग !
150.
अै धोरा धूण्यां जबर
गया तपेसर छोड,
पुनवानी ईं भोम री
सुरग करै के होड ?