भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पप्पू जी का रंग निराला / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पप्पू जी के बड़े मजे हैं,
पप्पू जी का रंग निराला।

पानी को पप्पा कहते हैं
रोटी को कहते हैं हप्पा,
लाओ-लाओ, रसगुल्ले दो
मुझे खिलाओ गोलमगप्पा।
तत्ता कहते, फू-फू करके-
गरम चाय में पानी डाला!

अजब-गजब है उनकी बातें
चाल गजब की, बाँकी-बाँकी,
कहते-मैं दिल्ली से आया
देखो, लाल किले की झाँकी!
फिर कहते-अब खाओ लड्डू,
डालो इसमें गरम मसाला!

उछल-उछलकर सबसे कहते
नाम मेरा नन्हा नटखट है,
समझो एक लिलीपुट हूँ मैं
दुनिया सारी उलट-पुलट है।
जिसको सारे चिट्टा कहते,
मैं कहता हूँ उसको काला!