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परम गुरु राम मिलावनहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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परम गुरु राम मिलावनहार।
अति उदार, मजुल, मंगलमय, अभिमत-फलदातार॥
टूटी-ड्डूटी नाव पड़ी मम भीषण भव-नद-धार।
जयति-जयति जय देव दयानिधि! बेग उतारो पार॥