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परम सत्य भगवान हैं / बाबा बैद्यनाथ झा

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वैसे तो सब जीव जगत के,
ईश्वर के प्रतिमान हैं
दृश्य मात्र तो सच दिखता है,
परम सत्य भगवान हैं

नद नाले सागर या नदियाँ,
वन उपवन भौंरे अरु कलियाँ,
नृत्य मग्न नाचे जब सखियाँ,
महानगर चौराहे गलियाँ,
भागदौड़ करते नर-नारी,
लगते सब गतिमान हैं
परम सत्य भगवान हैं

बाल संग खेले जब माँएँ,
बछड़े बिन रंभाती गायें,
अलग देश अपनी सीमाएँ,
भिन्न रूप दिखते जहँ जाएँ
देखेंगे हम पूर्ण विश्व में,
सभी मनुज संतान हैं
परम सत्य भगवान हैं

खाली हाथ यहाँ सब आते,
त्याग जगत को खाली जाते,
ईश भजन आस्तिक हैं गाते,
निज करनी के फल सब पाते,
माया से आवृत जो दीखे,
नश्वर सब म्रियमाण हैं
परम सत्य भगवान हैं