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परस बठंता अपना बाबल बुज्झा / हरियाणवी

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परस बठंता अपना बाबल बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम
कातक न्हणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला लाइयो बाग बगीचे हो राम
दूध घमोड़ती अपनी मायड़ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम
कात्तक न्हाणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला सिंच्चो धरम की क्यारी हो राम
धार काढ़ता अपना बीरा बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम
कात्तक न्हाणा बेब्बे बड़ाए दुहेल्ला ले ले न गोद भतीजा हो राम
पीसणा पीसती अपनी भावज ओ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम
कात्तक न्हाणा ननदल बड़ाए दुहेल्ला काढो ना कसीदा हो राम