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पराकाष्ठा / सुरेन्द्र डी सोनी
Kavita Kosh से
देख सको तुम
यौवन की
पराकाष्ठा...
इसलिए
आँधियाँ
अपने साथ
उड़ा ले गईं हैं
सभी खेजड़ियों की
चूनड़ियाँ..!