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परिछन / चन्द्रमणि
Kavita Kosh से
गारिने हम दै छी दुलहा दऽ रहलौं आषीष यौ
सासुरमे जुनि छाती तनियौ रहू लिबौने शीष यौ।। गारिने.....
गरदनिमे तौन लगबै छी
गरदामी ने अनलौं
नाक धरै छी नाथब तइले
हाटक बाछा बनलौं
अहाँके जनमओलनि तइले बाबू लेलनि फीस यौ।। गारिने.....
नव बड़द छी सुन्नर लागब
तें पहिरू ई माला
सासुर के धोती पहिरू आ’
फेरू बाबावाला
जे जे कहलौं मानू तै तऽ लागत ठुनका तीस यौ।। गारिने ....
मौसा हड़कल मौसी गुड़कल
पीसा अहाँके भरूआ
दुलहा मुदा अहाँके भरूआ
दुलहा मुदा अहाँ जुनि रूसियौ
सासुके दुलरूआ
बहिन ले‘ हम घघरी मंगादेव बाबू ले कटपीस यौ।। गारिने....
खेत बेचिकऽ साइकिल देब
आ’ महिंस बेचिकऽ रेडियो
काकाके दोसरि बेटीकी
जेतनि वियाहिल कहियो
बरू हम पहिरब गुदड़ी दुलहा जीबू लाख बरीस यौ।। गारिने ....