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परिवर्तन / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
1.
वह मेरी आँखों से दूर
जो अनगढ़े पत्थर की तरह दिखता था
आँखों में बसते ही
शालिग्राम बन गया।
2.
कागज के एक टुकड़े पर
तुमने क्या लिख दिया मेरा नाम
पूरी-की-पूरी मेरी एक जिन्दगी
तुम्हारे नाम वसीयत हो गई।