भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
परेशान औरत / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
Kavita Kosh से
खड़ी है
ख़ामोश अन्धेरे में,
वह परेशान औरत
झुकी हुई
थकन और दर्द से
बर्फ़ीली बारिश में
पतझर के फूल जैसी
हवा में उड़ाए गए
किसी पतझर के फूल जैसी
जो खिलेगा नहीं कभी भी
दुबारा ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम
—
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Langston Hughes
Troubled Woman
She stands
In the quiet darkness,
This troubled woman
Bowed by
Weariness and pain
Like an
Autumn flower
In the frozen rain,
Like a
Wind-blown autumn flower
That never lifts its head
Again.