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पवित्र, हलाल / देवेश पथ सारिया
Kavita Kosh से
उनमें से कुछ लोग
धीरे-धीरे 'जिबह' करने वाली
कुल्हाड़ी ले आए
दूसरे लोग साथ लाए
अत्याधुनिक मशीनें
जो एक तरफ से घुसकर
चीरते हुए पार निकलती थीं
'झटके' में जमींदोज करती हुई
बात भेड़ों की नहीं
पेड़ों की थी
क्या जिबह, झटका क्या
क़त्ल के सभी रास्ते
पवित्र थे, हलाल थे