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पश्चाताप / धनन्जय मिश्र

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मन
आरो जलें
आरो गलें
जतन्हौ जलवे
जतन्है जलवे
ओतन्है चमकवे
कुन्दन रं
दपदप।

पश्चाताप
आदमी बनै के
साँचा छेकै।