भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहरे पवित्रा बैठे हिंडोरे दोऊ निरखत नेन सिराने / सूरदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहरे पवित्रा बैठे हिंडोरे दोऊ निरखत नेन सिराने।
नव कुंज महल में राजत कोटिक काम लजाने ॥१॥
हास विलास हरत सबकेअन अंग अंग सुख साने ।
परमानंद स्वामी मन मोहन उपजत तान बिताने ॥२॥