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पहली नहीं थी वह / आरसी चौहान
Kavita Kosh से
उसे नहीं मालूम था
सपनों और हक़ीक़त की दुनिया में फ़र्क
जब उसे फूलों की सेज से
उतारा गया था बेरहमी से
घसीटते हुए
वह समझती
उस यातना का नया रूप
कि मुँह खुल चुका था छाते-सा
और उसकी साँसें टँग चुकी थी
खूँटी पर
यातना के तहत
जिसके सारे दस्तावेज़
जल चुके थे
और वह राख में
खोज रही थी
अपनी बची हुई हड्डियाँ
उस हवेली में बेख़बर
यातना की शिकार
पहली नहीं थी वह।