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पहले अपना मुआयना करना / हस्तीमल 'हस्ती'
Kavita Kosh से
पहले अपना मुआयना करना
फिर ज़माने पे तब्सरा करना
एक सच्ची पुकार काफ़ी है
हर घड़ी क्या ख़ुदा - ख़ुदा करना
ग़ैर-मुमकिन भी है गुनाह भी है
पर को परवाज़ से जुदा करना
अहमियत वे अना की क्या जानें
खूँ में जिनके है याचना करना
आप ही अपने काम आएँगे
सीखिए ख़ुद से मशवरा करना