भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहले जेब टटोल / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
कहा गधे ने पहुँच ‘शाप’ पर-
‘लेने आया मोल;
बड़िया से बादाम छाँटकर
पाँच किलो दे तोल!’
मुर्गा मेवे वाला बोला-
‘पहले जेब टटोल;
भाव पाँच सौ रुपए किलो है
कितने तोलूँ, बोल?’
[रचना: 27 सितंबर 1996]