भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पा नहीं सकते / अभिज्ञात

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दूर हम तुमसे जा नहीं सकते
शर्त ये भी है पा नही सकते

किसी को अपने आँसुओं का सबब
लाख चाहे बता नहीं सकते

जिस पे लिक्खी है इबारत कोई
हम वो दीवार ढा नही सकते

उसको रिश्तों से है नफ़रत शायद
कोई रिश्ता बना नहीं सकते