पान ठेलावाला / लक्ष्मण मस्तुरिया
हमका घेरी बेरी
रे हमका घेरी बेरी
घूर घूर निहारे, वो बलमा पान ठेलावाला
पान ठेलावाला, हो बजार मेलावाला राजा
पहली नजर मा, वो का नई का कही गए
होगे जी धक ले, थाड़े के थाड़े रही गए
दूजी नजर मा जी, दूजी नजर
हां जी दूजी नजर मा, अइसे का तो कही गए
उड़ते चिरइया, जस पिंजड़ा मा फंस गए
हमका आनीबानी
रे हमका आनीबानी के सपना दिखावय, वो बलमा पान ठेलावाला
पान ठेलावाला, हो बजार मेलावाला राजा
हमका घेरी बेरी
घूर घूर निहारे, वो बलमा पान ठेलावाला
समझ नई आवे, कि का हमका भई गे
हमरे जी हमरे, मन बस में नई रही गए
रसिया के सुरता जी, बलमा के सुरता
हां रसिया के सुरता, कि कण कण मा रचगे
जुल्मी के पुतरी, कण कण मा बसगे
हमका तनानना
रे हमका तनानना के नाच नचावे, वो बलमा पान ठेलावाला
पान ठेलावाला, हो बजार मेलावाला राजा
हमका घेरी बेरी
घूर घूर निहारे, वो बलमा पान ठेलावाला