भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी-सा सफर / राग तेलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चला चल
बढ़े चल
कल कल कल
बहता चल

पल पल
हर पल
संभल संभल
चलता चल

न रूक
होकर भाव-विव्हल

हां ! करता चल
मन निश्छल-निर्मल

हे ! रे ! जल

बहता चल
कल कल कल
बढ़ता चल

बस्स्
चल चला चल
चल ।