भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी / अंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पानी ही तो जीवन है
यह जीवन की धड़कन है।

नदियाँ माताएँ हैं सबकी
इनसे ही है गाँव-शहर,
 इनको गंदा करके तो हम
रोज पी रहे सुनो जहर।

नदियों में कचरा ना डालो,
यही तो असली पूजन है।

पानी जीवन का रखवाला
तन में पानी बहता है।
इसके बिना सोचकर देखो
प्राणी क्या जी सकता है?

जल की सदा जरूरत होगी
इनसे बादल-जलकण हैं।

पाँच तत्व रचते हैं सबको
उनसे ही सारे प्राणी।
एक तत्व जो व्याप्त सभी में
अखिल धरा में वह प्राणी।

जल-स्रोतों को चलो बचाएँ
अमृत है, असली धन है।