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पानी बिन डबरा में / पीसी लाल यादव
Kavita Kosh से
पानी बिन डबरा म तड़फत हे मछरी।
देख के मगन मन हाँफत हे डोकरी॥
डबरा के तीर-तीर घपटे चितावर,
डोकरा ल कहिथे डोकरी करबो मतावर॥
धर लेबो बामी खोखसी, टेंगना अऊ चिंगरी।
पानी बिन डबरा म तड़फत हे मछरी।
लालच में डोकरा बबा डबरा डबरा म उतरगे,
माड़ी भर लद्दी म उदुपुहा अभरगे॥
कोकड़ा के मारे नई बाचे इहाँ कोतरी।
पानी बिन डबरा म तड़फत हे मछरी॥
तभो ले डोकरा मन भर, लद्दी ल मताइस।
लद्दी म लुकाय भुंडा, मछरी ल पाइस॥
बड़े जन भुंडा देख मगन नाचे डोकरी।
पानी बिन डबरा म तड़फत हे मछरी॥
मिर्चा-मसाला म ममहागे गली-खोर।
ठुसा-ठुसा डोकरी खाय डोकरा पीयय झोर॥
माली धर साग माँगय परोसिन तोतरी।
पानी बिन डबरा म तड़फत हे मछरी॥