भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी मकाँ अगले क़दमों में / कृश्न कुमार तूर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


पानी मकाँ अगले क़दमों में
इक इक जहाँ अगले क़दमों में

सूरत अगर है यही दिल की
इम्काने-जाँ अगले क़दमों में

है पिछले क़दमों में यह दुनिया
मेरा जहाँ अगले क़दमों में

लिख दें हवाओं के चेहरे पर
अगला निशान अगले क़दमों में

सूरत यही हो सफ़र की ‘तूर’
हर आसमाँ अगले क़दमों में