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पायदान / हर्षिता पंचारिया
Kavita Kosh से
तुम्हारे पैरों तले बार बार रौंदने से
वह गंदे होते रहे,
फिर भी साफ़ करते रहे तुम्हारे पैर
“पायदान” मुख्य द्वार पर
उपस्थित रहते हुए भी धूल खाने में अव्वल रहें ।