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पाया है किछु पाया है / बुल्ले शाह
Kavita Kosh से
पाया है किछु पाया है, मेरे सतगुर अलख लखाया है।
कहूँ वैर पड़ा कहूँ बेली हो,
कहूँ मजनूँ हो कहूँ लेली हो,
कहूँ आप गुरु कहूँ चेली हो,
आप आप का पन्थ बताया है।
पाया है किछु पाया है, मेरे सतगुर अलख लखाया है।
कहूँ मस्जिद का वरतारा है,
कहूँ बणिआ ठाकुरद्वाराहै,
कहूँ बैरागी जटधारा है,
कहूँ शेख नबी बण आया है।
पाया है किछु पाया है, मेरे सतगुर अलख लखाया है।
कहूँ तुर्क हो कलमा पढ़ते हो,
कहूँ भगत हिन्दू जप करते हो,
कहूँ घोर गुफा में पड़ते हो,
कहूँ घर घर लाड लडाया है।
पाया है किछु पाया है, मेरे सतगुर अलख लखाया है।
बुल्ला मैं थीं बेमुहताज होया,
महाराज मिलिआ मेरा काज होया,
दरस पीआ का मुझहे इलाज होया,
आपे आप मैं आपु समाया है।
पाया है किछु पाया है, मेरे सतगुर अलख लखाया है।
शब्दार्थ
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