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पिया दोरस्सोॅ दिन / ऋतुरंग / अमरेन्द्र

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पिया दोरस्सोॅ दिन
कखनू तेॅ फूल लागै कखनू तेॅ पिन
पिया दोरस्सोॅ दिन।

कखनू तेॅ लोरी के नींद बनी जाय छै
कखनू तेॅ ननदी रङ झोली जगाय छै
कखनू तेॅ माथा पर मोगल के ऋण
पिया दोरस्सोॅ दिन।

कखनू तेॅ भौजो के चुटकी सन लागै
कखनू ननदोसी के नेह बनी आबै
क्षणहैं छै गोतनी तेॅ क्षण्हैं सौतिन
पिया दोरस्सोॅ दिन।

क्षणहैं हँसावै छै क्षणहैं कनावै
हाँसै की मइये, की सासू रिसियावै?
नै तेॅ हिरनौटा ई नै तेॅ बाघिन
पिया दोरस्सोॅ दिन।