राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
म्हारी हल्दी रो रंग सुरंग, निपजै मालवै,
मुलावै लाड़ लड़ा रा बाबाजी, दाद्या मन रलै।
म्हारी दाद्या चतुर सुजान, केसर कंवर
लाड़ो बाजोट्या बैठ न्हाय, ज्यूं जुग जाणसी।
लाड़ो सूरज सामो न्हाय, सीस ये भली चढ़ै।
लाड़ो पीठड़ली दिन चार, मल मल न्हायलै।
म्हारी हल्दी रो रंग सुरंग, निपजै मालवै,
मुलावै लाड़ लड़ा रा पापाजी, मांयत रे मन रलै।
म्हारी मम्मी चतुर सुजान, केसर कंवर।
लाड चावल्यां दिन चार, रुच-रुच जीम ले।
लाड काजलियो दिन चार, नैन घलाय ले।
लाड जीवो थांरा मायड़ बाप, बिरद उपायसा।
जुग जीवो शहजादा रा बाबाजी, बचाव घणा करै।