भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पीले गुलाब ./ सुधा गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{KKGlobal}}

तुम्हें भेजे थे
चन्द पीले गुलाब
मिल गए न ?
सिर्फ़ तुम्हारे लिए
सँजो रखे थे
पुखराज-पाटल
पीले गुलाब:
कोमल अहसास
तुम्हारा साथ
निर्धूम अगन -से
प्रशान्त ज्योति
पावनतम मित्र
मुझे भाती है
गुलाब की पीतिमा
 
पीले गुलाब
ओस-बिन्दु से सजे
महक उठे
अनाम ,अछूते वे
रिश्ते निर्वाक् ही रहे ।

-0-