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पीसण खातर चाक्की झो दी फौजी की होगी त्यारी / मेहर सिंह

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पीसण खातर चाक्की झो दी फौजी की होगी त्यारी
दुख का कैसे पता लगाऊं सुण धर्मकौर मेरी प्यारी

छ साल गाळां में हांड्या आठ साल पढ़ाया
चार साल थारी म्हैंस चराई दो साळ हळ बाह्मा
फेर फौज म्हं भरती होग्या कुछ ना खेल्या खाया
वो माणस ना किसे काम का जिसने आगै की नहीं बिचारी

कदे कदे तेरा त्योर कुढाळा मेरी छाती म्हं आज्या सै
सुपने के म्हं दिल गोरी मेरा तेरै धोरै आज्या सै
सामण जैसी लौर चलें जब बादळ सा छाज्या सै
होल्दार मेजर हुक करै वो पाड़ पाड़ कै खाज्या सै
तूं तो सोवै फैला कै मैं द्यूं ड्यूटी सरकारी

एक दिन रोटी खाते खाते याद मेरै तूं आई
लंगर म्हं तै चाल्या उठकै रोटी भी ना खाई
खाट म्हं जाकै मुंधा पड़ग्या रो कै नाड़ झुकाई
फेर उठकै देखण लाग्या चोगरदे खड़े सिपाई
कदे नौकरी कदे सैल्यूट करूं कदे चलाऊं लारी

इबकै नाम ड्रम म्हं आग्या तै पड़ै मिश्र म्हं जाणा
उपर तैं हो हवाई हमले पहाड़ां म्हं ल्हुक जाणा
बैठ जहाज म्हं सफर करैं उड़ै चाय बिस्कुट का खाणा
मरणे म्हं कुछ कसर रही ना वापस मुशकल आणा
कहै मेहरसिंह उल्टे आगै तै सोवैंगें महल अटारी