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पुकारा जिन्होंने अरे वे वहम हैं / लाला जगदलपुरी
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न तुम हो, न हम हैं
यहाँ भ्रम ही भ्रम हैं ।
दिशाहीन राहें,
भटकते क़दम हैं ।
नहीं कोई ब्रह्मा,
कई क्रूर यम हैं ।
मिले सर्जना को,
ग़लत कार्यक्रम हैं ।
यहाँ श्रेष्ठता में,
पुरस्कृत अधम हैं ।
किसी के भी दुखड़े
किसी से न कम हैं ।
पुकारा जिन्होंने,
अरे, वे वहम हैं ।