पुलवामा / जटाधर दुबे
पुलवामा में देशोॅ के खातिर
वीर जवान शहादत देलकै, 
एक एक कतरा के बदला
भारत के सेना ने लेलकै। 
देश छै हमरोॅ गौरव भूमि
बलिदानोॅ के सतत कहानी, 
शान्ति खातिर सहलै जाय छै
फिर भी अपनोॅ के नादानी। 
झूठ-झूठ के सपन देखावै
नौजवान केॅ भ्रमित करै छै, 
मरला पर हूरोॅ के लालच
मानव केॅ राक्षस बनावै छै। 
बुद्ध आरू गांधी के भारत, 
प्रेम अहिंसा के छै पुजारी, 
राम कृष्ण के किन्तु विरासत
अधम राक्षस पर छै भारी। 
रे कपूत, तोंय भूली गेल्हैं, 
जनम भूमि, माता के गौरव, 
महाभारत फेरू अब होतै, 
धरमयुद्ध में तोहीं कौरव। 
बार बार दुस्साहस करलें, 
बार बार थूकी के चाटभेॅ, 
अबकी बार कुछ्छू नै बचतौ
'जय भारत' माथा पर साटभेॅ। 
लाखोॅ बरसोॅ के छै भारत
अन्दर से मज़बूत बहुत छै, 
आबै कोय नै तोड़ै पारतै, 
देशभक्ति में शक्ति बहुत छै।
	
	