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पेड़ जानते हैं चलना / मुदित श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
गर बोल सकते पेड़
तो पहले बोलते नहीं
पहले रोते
हंस सकते पेड़
तो पहले सुनाते अपना दुःख
तुम्हें क्या लगता है कि
पेड़ों को चलना नहीं आता?
गलतफहमी है तुम्हारी!
वो जानते हैं चलना
लेकिन वह नहीं भाग जाना चाहते
तुम्हें अकेला छोड़कर
वो जानते हैं छोड़कर चले जाने का दुःख
उन्होनें देखीं है,
कितनी सारी पीढ़ियाँ
जाते हुए!
उन्हें पता है कि किसी के चले जाने पर
मनुष्य करता है विलाप
ग़लतफ़हमियाँ उन्हें भी होती है!