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पेड़ पौधे बहुत काम आने / उर्मिल सत्यभूषण

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मुस्कुराते हुये, सरसराते हुये, जी लुभाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
लाल मणियाँ ये पुखराज पीले
पन्ने, हीरे और नीलम ये नीले
जगमगाते हुये, टिमटिमाते हुये फूल भाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
आम जामुन ये हरियाले तरुवर
नीम पीपल, जटाधारी बरगद
कहते आओ ज़रा, चैन पाओ ज़रा यूं बुलाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
सेब खूबानी लीची मौसम्मी
आम अमरूद, केले नारंगी
फल कई रस से भरे, मीठे सूखे हरे हम हैं खाते
पेड़ पौधे बहुत काम आते
तन से, बीजों से, पत्तों, जड़ों से
अपने फूलों से, अपने फलों से
कुछ खिलाते हुये, कुछ पिलाते हुये, वो जिलाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
अपनी गहरी जड़ों से मृदा को
कस के पकड़े हुये है धरा को
मेघ भींचे हुये, नेह से सींचे हुये, बरस जाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
है बसेरे यहाँ चिड़ियों के
नीड़ कोयल, औ तोते, बयों के
चहचहाते हुये, किलकिलाते हुये गूंज जाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
आदमी को जिलाने ये वाले
भूमि पर स्वर्ग लाने ये वाले
बेवजह कट गये, बेवजह लुट गये मार खाते
पेड़ पौध्ेा बहुत काम आते
कितने ऊँचे है फिर भी झुके है
आदमी के नमन को रुके है
गर्व करना नहीं, डींग मारना नहीं ये सिखाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते
आदमी होश में लौट आओ
जीना है ग़र तो हमको बचाओ
पेड़ मत काटना, पौधों को पालना रट लगाते
पेड़-पौधे बहुत काम आते।