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पैम्फ़लेट / अरुण चन्द्र रॉय
Kavita Kosh से
मुस्कुराते हैं
अख़बारों के पन्नों के बीच
फँसे, गुँथे, लिपटे
पैम्फ़लेट
ख़बरों पर
और उनकी घटती
विश्वसनीयता पर
ख़बरों के कानो में
जा के ज़ोर से चिल्लाते हैं
पूरी रंगीनियत के साथ
कि
ख़बरों से पहले
पढ़े जाने लगे हैं वो...
पैम्फ़लेट
ख़बरों और
अख़बारों के लिए
एक बड़ी ख़बर हैं
ये महत्त्वहीन
पैम्फ़लेट