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पोस्टर / मदन डागा

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मैं एक पोस्टर हूँ

सड़क या दीवार पर

चिपका हुआ इश्तहार

तुम चाहो

सैनिक-ट्रक के नीचे कुचल सकते हो

फाड़कर चिन्दी-चिन्दी कर सकते हो!

पर उससे क्या ?

मैं ज़माने के दर्द को तो

बेनकाब कर चुका हूँ,

कुचल कर समझ लो

मर चुका हूँ!