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प्यार / गोविन्द कुमार 'गुंजन'

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दो पहाड़ों के बीच से
गुजर रही थी नदी
दोनों पहाड़ों ने की
उसकी उत्कंठ कामना

दोनों ने चाहा
उसका दामन थामना

मगर
पहाड़ मजबूर थे
वो झुक नहीं सकते थे और
नदी वहीं बहती थी
जहाँ तल बहुत नीचा था