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प्यार का पहला ख़त लिखने में / हस्तीमल 'हस्ती'
Kavita Kosh से
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है
हम ने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ लिया लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है