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प्यार की बातें / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’

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बस रहने भी दो अब ये बेकार की बातें
हमें करनी है तुमसे सिर्फ प्यार की बातें।
मायूस होकर इस तरह से लड़खड़ाये क्यों
आओ अब कर लें फिर से बहार की बातें।
चोट लगी थी दिल में जख्म बने थे गहरे
अब नहीं करनी मुझे फिर इंतजार की बातें।
जिन्हें गुरूर था वो भी पछाड़ खा गये अब
अच्छी लगने लगी अब इन्हें विचार की बातें।
बात मतलब की करते और निकल जाते हैं
पत्थर दिल करने लगे अब बहार की बातें।