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प्यार के झरोखे न होते / रमा द्विवेदी
Kavita Kosh से
खुदा ने अगर दिल मिलाए न होते।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
न ये हिम पिघलता, न नदियाँ ये बहतीं,
न नदियाँ मचलती, न सागर में मिलतीं,
सागर की बाहों में गर समाए न होते ।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
न सागर यह तपता, न बादल ये बनते,
न बादल पिघलते, न जल-कण बरसते,
जल-कण धरा में गर समाए न होते ।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
न ऋतुएँ बदलती, न ये फूल खिलते,
न तितली बहकती, न भौंरे मचलते,
अगर प्यार के ये झरोखे न होते ।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
खुदा ने अगर दिल मिलाए न होते।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥