भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार सभी से पाओ / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
गया रात का अंधियारा
अब नया सवेरा आया।
धीरे-धीरे सूरज उठ कर,
आसमान में आया।
तेरी चादर उठा रही मैं,
जाग मेरे मृग छौने।
भोली आँखें खोल दिया मुख,
दूँगी बहुत खिलौने।
जाग गयी है प्यारी चिड़ियाँ,
गाती मीठे गाने।
फुदक रहीं डालों पर बैठी,
चहक रहीं वे क्या जाएँ।
उठकर तुम भी मीठे स्वर में,
प्रभु को शीश झुकाओ।
करो प्रणाम सभी को बेटे,
प्यार सभी से पाओ॥