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प्यारा राम / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
Kavita Kosh से
कौन है, है जिसे न प्यारा राम!
राम के हम हैं, है हमारा राम।
है दुखी-दीन पर दया करता,
बेसहारों का है सहारा राम।
तब वहीं पर खड़ा मिला न किसे,
जब जहाँ पर गया पुकारा राम।
हैं सभी जीव जुगुनुओं-जैसे,
है चमकता हुआ सितारा राम।
है समझ-बूझ शीश का सेहरा,
सूझ की आँख का है तारा राम।
हैं जहाँ संत-हंस पल पाते,
मानसर का है वह किनारा राम।
है मनों में बसा हुआ सबके,
है दिलों का बड़ा दुलारा राम।
छू गये पाप-फूस है फुँकता,
है दहकता हुआ अँगारा राम।
भूत सिर का उतर सका जिससे,
है सयानों का वह उतारा राम।
तर गये लोग धुन सुने जिसकी,
साधुओं का है वह दुलारा राम।