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प्रतिध्वनि / लिअनीद गुबानफ़ / वरयाम सिंह

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मरीना स्विताएवा की स्मृति में

कुछ मूल्य होते हैं, जो बदलते नहीं
कहाँ हैं वे हाथ जिन्हें चूमा नहीं गया
कुछ लोग हैं जो प्यार करते हैं,
लेकिन कहीं खो गए हैं,
कि उन्हें चुराया जा चुका है ।

ख़तरा ख़ामोश है, लेकिन शोर मचा रही है जीत
महारानियाँ हैं, लेकिन लिए हैं ज़ोलुश्का का डर
एक दुनिया भी है, कब तक सराहते रहोगे उसे,
सीपी, झूठ और सोने के भीतर की दुनिया ।

बहुत हैं पराजयों के सेनापति,
बहुत हैं असफलताओं के शिक्षक भी,
पवित्र त्याग का व्याभिचार भी है
और वहशियों की पवित्रता भी ।

नशा न करनेवाले नशे में डूबे हैं
नशेड़ियों की भीड़ है यह, नशा नहीं करती ।

रंक मालिक हैं महलों के
और जिन्हें नीचे होना चाहिए था, बैठे हैं ऊपर ।
झूठे साँचे में ढली सच्चाई भी है
ख्याति के आँसुओं में झूठ छिपा है।

अनाथ है पावन माँ
और शैतान लिए हुए गले में जयमाल ।

मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
            Леонид Губанов
                  Эхо

памяти М.И. Цветаевой

Есть ценности непреходящие
есть где-то руки нецелованные
есть любящие
но пропащие,
лишь потому, что разворованы.

Есть тихий риск и громкий выигрыш
Царицы есть с испугом Золушки,
есть М И Р который ты не выгладишь —
он в перламутре, лжи и золоте.

… есть капитаны — поражения
крушения — учителя
Разврат святого отрешенья
и святость разного Зверья.

есть спившиеся в мире трезвенники,
непьющие — такая пьянь.

Есть нищие — дворцам наместники,
… и есть блистающая рвань.
Есть правда, что с фальшивых матриц
есть Ложь в слезах последней Славы.

И сиротою Божья Матерь,
и сатана в венке из Лавры.