भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रतिमा: भावना / पयस्विनी / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ककरहु संकल्प केर मूर्त आकार
सृष्टि बीच आबि स्वयं स्रष्टा साकार
कविक हृदय कल्पनाक कविता नव मूर्ति
गगन वाष्प पवन सघन सरिता थिक पूर्ति
मन सौन्दर्य निखर प्रतिमा छविवंत
रामक पद-रजक परस पाहन जीवंत
ज्ञान निराकार साकार भक्ति हेतु
तुनुक तनुक प्राण परिष्कार शक्ति केतु
अणुक शक्ति दृश्य तखन जखन धातु-धुलि
ध्यान जमय जतय बिन्दु ज्योति सिन्धु धूलि
प्रभा प्रमाण आगम-अनुमान यदि च दृश्य
गुरुक हो गुरुत्व सिद्ध जखन सफल शिष्य
ककरहु हस्तीक बुतपरस्ती परिणाम
काबा कबूल करय सीमित लय स्थान
मूर्ति-भंजनाक योजनाक अभियान
बन्द करिअ, मन्दिरहुक अन्दर भगवान
व्यक्ति एक, नाम कते, लौकिक अनुबन्ध
पिता-पुत्र भाइ - बन्धु बहुबिध सम्बन्ध
रहितहुँ अदृश्य, दृश्य कर्म तडित शक्ति
बरय-बहय, भरय-खुनय कते बिधि प्रसक्ति
चित्र ई विचित्र भरल भावना पवित्र
प्रतिमा खनि अमृत स्रोत खुनत मन खनित्र
ज्योति लिंग भूमि गड़ल बढ़ल गगन शृंग
कीट विकट जन्तु रङल रंग कृष्ण भृंग
मूर्ति पूर्ति भावनाक बूझवे परिणाम
प्रतिमा प्रमाणित प्रतीक प्रेम प्राण
मूर्ति पूर्ति भावनाक कल्षनानुसार
निराकार प्रभुहिक संसार ई अकार