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प्रथमहिं बान्हिले गुर चरनवा / भोजपुरी

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प्रथमहिं बान्हिले गुर चरनवा, त जल-थल बान्हिले नीर
सात सै बिघिन समुद्र-बीख बन्हलीं, तनीको ना डोलय सरीर।।१।।
सखि हो हरि हरि।
सावन ए सखि, सरब सोहावन, बिजुबन कुहुकत मोर
मोरवा के बोलिया जे हियरा साले, दुनु नयना ढरे लोर। सखि हो.।।२।।
भादो ए सखी, भैली भेआवन, गरि गइले गहिर गंभीर
लवका लवके, बिजुली ठनके, केकरे सरन लगि जावॅं। सखि हो.।।३।।
कुआरहिं ए सखि, कंत बिदेसे गइले, हमसे कछु ना कही
हम अभागिन साँवर तिरिया, रहली में आसरा लगाय। सखि हो.।।४।।
कातिक ए सखि, लागे पूर्नवांसी, कि सखि सब गंगा नहाय
गंगा नहाई, बरत एक पूजलों, पूजलों मे गउरी, गनेस। सखि हो.।।५।।
अहगन ए सखि, लगले सनेहिया कि अगरे के चीर
इहो चीर हउवें बलमुजी के बेसगल, जीअ कंत लाख बरीसा सखि हो।।६।।
पूसहिं ए सखि, परत फुहेरा, निति उठि अंचवत खात,
सेज के सोवइया सइयाँ गइले परदेसवा. सेज मोर एको ना सोहता।
सखि हो।।७।।
माघहिं ए सखि ए सखि, पड़े निज ठारा, पड़ि गइले माघवा के जाड़
पिया मोरे रहितें त सिरखा भइरतें, खेपितों में माघवा के जाड़ा।
सखि हो.।।८।।
फागुन ए सखि, रंग महीनवाँ, घोरितो में लाली गुलाब
भरि पनिया अबीर रस घोरतीं, खेलतीं छैलवा के साथ। सखि हो.।।९।।
चइत ए सखि, फूले बन टेसू, कि फूली गइले केसरी गुलाब
पिया मोरे रहितें, त टेसू तूरी अनितें, हम धनि चुनरी रंगाय सखि हो.।।१॰।।
बइसाख ए सखि, उखम के दिनवाँ, ऊँचीं कइ बॅंगला छवाय,
पिया लेइ बइठब बॅंगला के छहियाँ, हम धनि बेनिया डोलाय। सखी हो.।।११।।
जेठहिं ए सखि, भेंट जे भइलें, पूजि गइलें मनवाँ के आस
जेठहिं पियवा से भेंट जे भइलें, कि पूजि गइले बारहोमास सखि हो.।।१२।।