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प्रमथ्यु : इतिहास की राह पर / रणजीत
Kavita Kosh से
पुराणों में एक प्रमथ्यु था
जिसने स्वर्ग से आग चुरा कर मनुष्यों को दी थी
और देवताओं के राजा जुपीटर ने उसे चट्टान से बँधवा दिया था ।
इतिहास में भी प्रमथ्यु होते हैं
लेकिन इतिहास में आग चुराना और चट्टान से बँधवाना ज़रूरी नहीं
क्योंकि कोई-कोई तो आग चुराता नहीं, छीनता है
जुपीटर के द्वारा बन्दी नहीं बनाया जाता
उसे हरा कर भगा देता है
और आग के साथ ही साथ
जुपीटर के महलों का भी मालिक बन जाता है
तब उसे आग धरती पर ले जाकर
मनष्यों को देने की ज़रूरत नहीं पड़ती
वह ख़ुद स्वर्ग में आकर रहने लगता है
और आग
फिर इस नए जुपीटर के महलों में बन्द छटपटाती रहती है
और धरती -
अँधेरे में भटकती हुई व्याकुल धरती -
फिर किसी नए प्रमथ्यु का इन्तजा़र करती रहती है ।