भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रवासी / तेनजिन त्सुंदे / अशोक पांडे
Kavita Kosh से
बाड़ें
अब बदल चुकी है
जंगल की
अब मै
कैसे बताऊँ
अपने बच्चों को
कि कहाँ से आए थे हम
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पांडे