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प्रश्न-उत्तर / राजकमल चौधरी
Kavita Kosh से
‘‘घुरि आउ गाम?
की हमरा परोक्षमे नइ नीक लगैए किछओ?’’
-पतिक पत्रमे प्रश्न।
‘‘नइ, जुनि आउ अहाँ
जावत् ने चाकरी पाबि ली
प्राणेश्वर, नइ त्यागू कलकत्ता।
हम प्रसन्न छी, सकुशल-सानन्द छी
हमरा लेल करू जुनि कोनो चिन्ता
अहाँ समीप होइ तक्कर नइँए कोनो सेहन्ता’’
-ग्रामवधू लिखलनि उत्तर,
आ, एतबा लिखि...
बड़ी काल धरि मौन
सुखायल ठोर, झुकले नयन चकोर?
आ, तदुपरान्त, हिचकी, सिसकी, नोर
नइँ रोकि सकलि कानब सुन्नरि।
की ई कानब सुनत
ट्राम के हड़हड़ खटखट, जूट मिलक भोंपू?
जनसंकुल नगरक भीड़ भाड़मे
हेरायल, जीविका तकैत, पत्र-लेखक पति?
(मिथिला दर्शन: मइ, 1959)