भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रश्न / मारिन सोरस्क्यू / मणि मोहन
Kavita Kosh से
आज क्या है?
सोमवार –
पर था तो सोमवार
पिछले सप्ताह ही।
मंगलवार?
परन्तु पिछले पूरे साल था ,
और कुछ नहीं सिर्फ मंगलवार।
बुधवार ?
जहाँ तक मुझे याद है
इससे पहले वाली शताब्दी
बुधवार से ही शुरू हुई थी।
गुरूवार ?
ऐसे ही किसी गुरूवार को
कार्थेज का विनाश हुआ था
ऐसे ही किसी गुरूवार को
आग के हवाले की गई थी अलेक्सान्द्रिया की लायब्रेरी
अब यह मत कहना मुझसे कि तब से अब तक
एक भी दिन नहीं गुजरा।
शुक्रवार? शनिवार?
हाँ, मैंने सुना है
इन दिनों के बारे में
कृपा करें — परिकल्पनाएँ नहीं।
शायद रविवार?
सृष्टि के निर्माण से पहले का समय
रविवार कहलाता था
मुझे याद है।
अब देखो न
सप्ताह के तमाम दिन हो चुके
हमारे लिए
नया कुछ भी नहीं बचा।
अनुवाद : मणि मोहन