भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रश्न यह है / दिनेश सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रश्न यह है-
भरोसा किस पर करें

एक नंगी पीठ है
सौ चाबुकें
बचाने वाले
कभी के जा चुके

हम डरें भी तो
भला कब तक डरें

स्वप्न हमसे
जी चुराते जा रहे
आँख सुरमे से
सजाते रहे

आँसुओं से
हम इन्हें कब तक भरें

घरों के भीतर
अजाने रास्ते
अलग-अलग बँटे
हमारे वास्ते

झनझनाते पाँव
जब इन पर धरें